हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा
चार खंडों में लिखी गई है
क्या भूलूं क्या याद करूं (1969)
नीड का निर्माण फिर (1970)
बसेरे से दूर (1977)
दशद्वार से सोपान तक (1985)
क्या भूलूं क्या याद करूं
जन्म से लेकर अपनी पत्नी श्यामा के मृत्यु तक की घटना
अपने वंश की उत्पत्ति
नाम -जन्म से पूर्व माता-पिता द्वारा हरिवंश पुराण पड़ने के कारण
बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, शैक्षणिक जीवन श्यामा के संग विवाह
पारिवारिक आर्थिक परेशानियां
श्यामा की बीमारी और मृत्यु
नीड का निर्माण फिर
श्यामा की मृत्यु के बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण विवश होकर इस मनस्वी से बाहर निकलना पड़ा ।
फिर देसी तेजी सूरी से मुलाकात, पुनर्विवाह
दो पुत्रों का जन्म -अमित ,अजीत
बसेरे से दूर
परिवार से दूर कैंब्रिज में रहकर साहित्य पर शोध कार्य किया
बच्चन के शोध प्रबंध- 'डब्ल्यू .बी .यीट्स के साहित्य में निगूढ तत्व'
नेपाल यात्रा, कोलकाता की यात्रा
विदेश मंत्रालय में अपनी नियुक्ति के अनुभूतियों को भी मुखरित किया
दशरथ द्वार से सोपान तक
सबसे विस्तृत इसको दो भाग कर दिए हैं
प्रथम पड़ाव में 1956-1971 तक की घटनाओं का वर्णन
दूसरे पड़ाव में 1971-1983 तक की घटनाओं का वर्णन
उनके इलाहाबाद और दिल्ली के घरों के नाम
10 वर्ष तक विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेष अधिकारी के पद पर
6 वर्षों तक राज्यसभा के मनोनित सदस्य के रूप में विदेश यात्राओं का उल्लेख
सोपान में प्रवेश करने तक की जीवन यात्रा
@iamchandruss
चार खंडों में लिखी गई है
क्या भूलूं क्या याद करूं (1969)
नीड का निर्माण फिर (1970)
बसेरे से दूर (1977)
दशद्वार से सोपान तक (1985)
क्या भूलूं क्या याद करूं
जन्म से लेकर अपनी पत्नी श्यामा के मृत्यु तक की घटना
अपने वंश की उत्पत्ति
नाम -जन्म से पूर्व माता-पिता द्वारा हरिवंश पुराण पड़ने के कारण
बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, शैक्षणिक जीवन श्यामा के संग विवाह
पारिवारिक आर्थिक परेशानियां
श्यामा की बीमारी और मृत्यु
नीड का निर्माण फिर
श्यामा की मृत्यु के बाद आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण विवश होकर इस मनस्वी से बाहर निकलना पड़ा ।
फिर देसी तेजी सूरी से मुलाकात, पुनर्विवाह
दो पुत्रों का जन्म -अमित ,अजीत
बसेरे से दूर
परिवार से दूर कैंब्रिज में रहकर साहित्य पर शोध कार्य किया
बच्चन के शोध प्रबंध- 'डब्ल्यू .बी .यीट्स के साहित्य में निगूढ तत्व'
नेपाल यात्रा, कोलकाता की यात्रा
विदेश मंत्रालय में अपनी नियुक्ति के अनुभूतियों को भी मुखरित किया
दशरथ द्वार से सोपान तक
सबसे विस्तृत इसको दो भाग कर दिए हैं
प्रथम पड़ाव में 1956-1971 तक की घटनाओं का वर्णन
दूसरे पड़ाव में 1971-1983 तक की घटनाओं का वर्णन
उनके इलाहाबाद और दिल्ली के घरों के नाम
10 वर्ष तक विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेष अधिकारी के पद पर
6 वर्षों तक राज्यसभा के मनोनित सदस्य के रूप में विदेश यात्राओं का उल्लेख
सोपान में प्रवेश करने तक की जीवन यात्रा
@iamchandruss
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