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पूस की रात
कहानी ग्रामीण जीवन से संबंधित है, इस कहानी का नायक मामूली किसान हैं । उसके पास थोड़ी - सी जमीन है, जिस पर खेती करके वह गुजारा करता है लेकिन खेती से जो रकम मिलते है, वह ऋण चुकाने में निकल जाती है ।
सर्दियों में कंबल खरीदने केलिए उसने मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से तीन रूपये इकट्ठे किये हैं, लेकिन वह तीन रूपये भी महाजन ले जाता है । उसकी पत्नी मुन्नी इसका बहुत विरोध करती है । किंतु वह भी अंत में लाचार हो जाती है ।
हल्कू अपनी फसल की देखभाल के लिए खेत पर जाता है । उसके साथ उसका पालतु कुत्ता जबरा है, वही अंधकार और अकेलेपन में उसका साथी है । पौष का महीना है, ठंडी हवा बह रही है । हल्कू के पास चादर के अलावा औढ़ने को कुछ नहीं है । वह कुत्ते के साथ मन बहलाने की कोशिश करता है । किंतु ठंड से मुक्ति नहीं मिलती, तब वह पास के आम के बगीचे से पत्तियाँ इकट्ठी कर अलाव जलाता है । अलाव की आग से उसे राहत मिलती है ।
आग बुझ जाने पर भी शरीर की गरमाहट से वह चादर ओढ़े बैठा रहता है, उधर खेत में नीलगायें घुस जाती है । जबरा उनकी आहट से सावधान हो जाता है वह उन पर भौंकता है । हल्कू को भी लगता है कि खेत में नीलगायें घुस आई हैं लेकिन वह बैठा रहता है ।
नीलगायें खेत को चरने लगती हैं , तब भी हल्कू नहीं उठता । वह अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए सोचता है कि जबरा के होते कोई जानवर खेत में नहीं आ सकता । एक बार उठता भी हैं , दो - तीन कदम चलता है , लेकिन ठंड के तेज झोंके के कारण वह फिर अलाव के पास बैठ जाता है । आखिरकार नीलगायें पूरे खेत को नष्ट कर देती हैं ।
सुबह उसकी पत्नी उसे जगाती है और बताती है कि सारी फसल नष्ट हो गयी है । वह चिंतित होकर यह भी कहती है कि ' अब मजदूरी करके मालगुजारी भरनी पड़ेगी, इस पर हल्कू प्रसन्न होकर कहता है कि ' रात को ठंड में यहाँ , सोना तो न पड़ेगा ।
Questions
प्रेमचंद की कहानी ' पूस की रात ' में किसका चित्रण है ?
1. कृषक जीवन की समस्या
2. राजनीतिक समस्या
3. देश विभाजन की समस्या
4. दहेज प्रथा की समस्या
@iamchandruss
कहानी ग्रामीण जीवन से संबंधित है, इस कहानी का नायक मामूली किसान हैं । उसके पास थोड़ी - सी जमीन है, जिस पर खेती करके वह गुजारा करता है लेकिन खेती से जो रकम मिलते है, वह ऋण चुकाने में निकल जाती है ।
सर्दियों में कंबल खरीदने केलिए उसने मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से तीन रूपये इकट्ठे किये हैं, लेकिन वह तीन रूपये भी महाजन ले जाता है । उसकी पत्नी मुन्नी इसका बहुत विरोध करती है । किंतु वह भी अंत में लाचार हो जाती है ।
हल्कू अपनी फसल की देखभाल के लिए खेत पर जाता है । उसके साथ उसका पालतु कुत्ता जबरा है, वही अंधकार और अकेलेपन में उसका साथी है । पौष का महीना है, ठंडी हवा बह रही है । हल्कू के पास चादर के अलावा औढ़ने को कुछ नहीं है । वह कुत्ते के साथ मन बहलाने की कोशिश करता है । किंतु ठंड से मुक्ति नहीं मिलती, तब वह पास के आम के बगीचे से पत्तियाँ इकट्ठी कर अलाव जलाता है । अलाव की आग से उसे राहत मिलती है ।
आग बुझ जाने पर भी शरीर की गरमाहट से वह चादर ओढ़े बैठा रहता है, उधर खेत में नीलगायें घुस जाती है । जबरा उनकी आहट से सावधान हो जाता है वह उन पर भौंकता है । हल्कू को भी लगता है कि खेत में नीलगायें घुस आई हैं लेकिन वह बैठा रहता है ।
नीलगायें खेत को चरने लगती हैं , तब भी हल्कू नहीं उठता । वह अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए सोचता है कि जबरा के होते कोई जानवर खेत में नहीं आ सकता । एक बार उठता भी हैं , दो - तीन कदम चलता है , लेकिन ठंड के तेज झोंके के कारण वह फिर अलाव के पास बैठ जाता है । आखिरकार नीलगायें पूरे खेत को नष्ट कर देती हैं ।
सुबह उसकी पत्नी उसे जगाती है और बताती है कि सारी फसल नष्ट हो गयी है । वह चिंतित होकर यह भी कहती है कि ' अब मजदूरी करके मालगुजारी भरनी पड़ेगी, इस पर हल्कू प्रसन्न होकर कहता है कि ' रात को ठंड में यहाँ , सोना तो न पड़ेगा ।
Questions
प्रेमचंद की कहानी ' पूस की रात ' में किसका चित्रण है ?
1. कृषक जीवन की समस्या
2. राजनीतिक समस्या
3. देश विभाजन की समस्या
4. दहेज प्रथा की समस्या
@iamchandruss
Notes
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